राम पुनियानी

राम पुनियानी

मुस्लिम शासकों और सिख गुरुओं के बीच टकराव, सत्ता संघर्ष का हिस्सा था और इसे इस्लाम और सिक्ख धर्म के बीच टकराव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। नानक के बाद के गुरुओं से अकबर के बेहद मधुर संबंध रहे।

कोरोना वायरस से हालात बिगड़ने के लिए जैसे ही सरकार की निंदा शुरू होती है, सारा दोष 'व्यवस्था' पर लाद दिया जाता है। लेकिन हमारे शासक चाहे जितनी अपनी पीठ थपथपा लें, इतिहास में उनका निकम्मापन दर्ज हो चुका है। देश की हालत को पूरी दुनिया अवाक होकर देख रही है।

कोविड-19 की दूसरी और कहीं अधिक खतरनाक लहर पूरे देश में छा चुकी है. जहाँ मरीज़ और उनके परिजन बिस्तरों, ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं वहीं कोविड योद्धा इस कठिन समय में समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे. लोगों की भोजन और अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आईं हैं. इस महामारी ने एक ओर मानवता का चेहरा हमारे सामने लाया है वहीं हमारे शासकों के कई निर्णय काफी चौंकाने वाले हैं.

जिस समय बाबरी मस्जिद को ढ़हाने का भीषण अपराध किया जा रहा था उसी समय यह नारा भी लग रहा था "ये तो केवल झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है". बाबरी मस्जिद अभियान काफी लंबे समय तक चला था. इस दौरान रथयात्राएं निकलीं, खून-खराबा हुआ, एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाई गई और पूरे देश को धर्म के आधार पर बांट दिया गया.

देश में अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के खिलाफ जिस तरह की हिंसा हो रही है, वह हमारे संविधान में निहित समानता और बंधुत्व के मूल्यों के लिए खतरा है। आज बहुवाद और कमजोर वर्गों के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

बीजेपी एक नहीं, बल्कि अनेक मायनों में ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’ है। वह देश की एकमात्र ऐसी बड़ी राजनैतिक पार्टी है जो भारतीय संविधान में निहित प्रजातंत्र और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के बावजूद यह मानती है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है।