Ravish Kumar

Ravish Kumar

यह सवाल स्टंट का नहीं है। जब सैंकड़ों हज़ारों लोग आक्सीजन की कमी की वजह से तड़प कर मर गए तब यह सवाल केवल स्टंट का नहीं होना चाहिए। कुछ चैनलों ने फैसला किया है कि वे चुनावी नतीजों को कवर नहीं करेंगे। हमें देखना चाहिए कि क्या ये चैनल जो चुनावी नतीजों को कवर नहीं करेंगे, कोविड की नाकामी को लेकर सरकार से सवाल करेंगे? चुनावी नतीजों को कवर न करने के जिस नैतिक बल का प्रदर्शन कर रहे हैं क्या वे उस नैतिक बल से उस सरकार को घेरेंगे जिसके झूठ को लोगों तक पहुंचाते रहे?

अस्पताल और श्मशान में फ़र्क़ मिट गया है। दिल्ली और लखनऊ का फ़र्क़ मिट गया है।अहमदाबाद और मुंबई का फ़र्क मिट गया है। पटना और भोपाल का फ़र्क़ मिट गया है।

अमरीका ने दो सौ साल तक भारत को ग़ुलाम बनाए रखा। क्या आपने ऐसा कहा है? ट्विटर पर लोग आपके बयान के वीडियो को ट्वीट कर हंस रहे हैं। मैं खुलेआम कहता हूँ कि आपने सही कहा है। मैं आपके साथ हूं। हंसने वाले हंसते रहें, लेकिन मैं आपके साथ हूं।

आप किससे उम्मीद कर रहे हैं? भारत का 99.999 प्रतिशत मीडिया गोदी मीडिया है। यह एक परिवार की तरह काम करता है। इस परिवार के संरक्षक का नाम आप जानते हैं।

16 जनवरी को व्हाट्सएप चैट की बातें वायरल होती हैं। किसी को पता नहीं कि चैट की तीन हज़ार पन्नों की फाइलें कहां से आई हैं।

यह आपका भ्रम है कि गोदी मीडिया से सूचना मिलती है और आप इसके लिए चैनल देखते हैं या अख़बार पढ़ते हैं। एक भ्रम और फैलाया जाता है कि सबकी अपनी-अपनी विचारधारा होती है।

बाइक के क़द्रदान ही समझ पाएँगे हार्ली डेविडसन पर बैठने की ख़ुशी। इस ख़ुशी को प्राप्त करने के लिए ज़रूरी नहीं कि बाइक अपनी हो। यह ख़ुशी दूसरे की बाइक पर बैठ कर ही महसूस की जाती है।