हिंदू मालिकाना मीट कंपनी Licious ने झटके की मांग को ठुकराया, कहा सिर्फ हलाल मीट ही बेंचेंगे, चाहे कर दो बहिष्कार
कम्पनी ने निर्णय लिया है कि वो अपनी बिजनेस पॉलिसी के तहत केवल हलाल मीट की ही सप्लाई करेगी। दरअसल, एक हिंदुत्ववादी संगठन के कार्यकर्ता ने गुस्से में कम्पनी को ईमेल किया था और कहा था कि उसने अब लिसियस के प्रोडक्ट्स का प्रयोग करना बंद कर दिया है।

बेंगलुरु में स्थित एक कम्पनी है लिसियस। यह कच्चे मांस की सप्लाई करती है। इसके अलावा वो मांस के ऐसे आइटम्स भी बेचती है, जिन्हें पका कर खाया जाता है। यानी, वो ‘रॉ मीट’ और ‘रेडी टू कूक’ मांस आइटम्स बेचती है। आपको बता दे इस कंपनी मालिक खुद हिंदू है इसकी शुरुआत ही 2015 में अभय हंजोरा और विवेक गुप्ता ने कि थी ।
अब कम्पनी ने निर्णय लिया है कि वो अपनी बिजनेस पॉलिसी के तहत केवल हलाल मीट की ही सप्लाई करेगी। दरअसल, एक हिंदुत्ववादी संगठन के कार्यकर्ता ने गुस्से में कम्पनी को ईमेल किया था और कहा था कि उसने अब लिसियस के प्रोडक्ट्स का प्रयोग करना बंद कर दिया है।
दरअसल यह दावा एक हिंदुत्ववादी विचारधारा वेबसाइट ऑपी इंडिया पर किया गया है। कंपनी ने झटका मीट बेंचने से इंकार कर दिया फिर चाहे लोग उसका बहिष्कार ही क्यो ना करे
ये सब शुरू हुआ एक ट्विटर ट्रेंड से। सोशल मीडिया पर लोगों ने भारत में सक्रिय मीट ब्रांड्स से पूछा कि उन्हें हलाल मीट खाने को क्यों बाध्य किया जा रहा है, जबकि उनके धर्म या संप्रदाय में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।
अगर किसी ख़ास वर्ग को हलाल मीट ही चाहिए, तो बाकियों को भी उसी श्रेणी में रख कर हलाल ही क्यों खिलाया जा रहा है? यानी, मीट ख़रीदते समय एक आम आदमी के पास कोई विकल्प नहीं है। हलाल ही मिलेगा।
लोग इसीलिए गुस्सा थे क्योंकि उनकी भावनाओं की कोई भी कम्पनी सम्मान नहीं कर रही है और हलाल खाने को मजबूर कर रही है । लिसियस को भेजे गए ईमेल में मनोहर नामक व्यक्ति ने कुछ तीखे सवाल पूछे:
इसके बाद कम्पनी ने रविवार (अप्रैल 26, 2020) को दोपहर 2:19 बजे मनोहर के ईमेल का जवाब दिया और कहा कि लिसियस की ये बिजनेस पॉलिसी है कि सभी प्रकार के केवल हलाल सर्टिफाइड मांस ही बेचे जाएँगे (मेल की पहली लाइन ही पढ़िए, ध्यान से पढ़िए – we have decided to slaughter all our meat in halal way – मतलब मीट चाहे जैसा हो, कंपनी उसे हलाल ही करेगी)। इसका सीधा अर्थ है कि एक ग्राहक के पास हलाल मीट खाने के अलावा कोई चारा नहीं है, भले ही वो मुसलमान नहीं हो।
ये ईमेल talktous@licious.in ईमेल एड्रेस से आया, जो इसी कम्पनी का आधिकारिक ईमेल एड्रेस है। कम्पनी के आधिकारिक वेबसाइट पर भी कॉन्टैक्ट ईमेल के रूप में इसी को दिया गया है। इसका अर्थ है कि लिसियस भारतीय बाजार में नॉन-हलाल मीट सप्लाई करने से साफ़ इनकार कर रहा है क्योंकि मुसलमान इसे नहीं खाते। जबकि, कई लोगों की माँग है कि उन्हें नॉन-हलाल मीट ही चाहिए। उनकी भावनाओं का क्या कोई सम्मान नहीं, इन कंपनियों की नज़र में?
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