कश्मीर में बिहार के एक और मज़दूर की हत्या

बांदिपोरा के सदुनारा संबल में साढ़े 12 बजे रात के करीब आतंकियों की फ़ायरिंग का शिकार बना मोहम्मद अमरेज़,जो बिहार के मधेपुरा ज़िले के बेसाढ़ का रहने वाला था

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12 अगस्त 2022 @ 17:17
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बांदिपोरा: जम्मू-कश्मीर में पुलिस के अनुसार आतंकवादियों ने देर रात बिहार के एक मज़दूर की गोली मारकर हत्या कर दी। कश्मीर ज़ोन की पुलिस ने एक ट्वीट कर बताया है कि आतंकवादियों ने गुरुवार की मध्य रात्रि बांदिपोरा के सदुनारा संबल में एक प्रवासी मज़दूर पर गोलियाँ चलाईं जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी मौत हो गई।पुलिस के मुताबिक़ मज़दूर का नाम मोहम्मद अमरेज़ था जो बिहार के मधेपुरा ज़िले के बेसाढ़ का रहने वाला था। जम्मू कश्मीर में पिछले सप्ताह भी चरमपंथियों ने बिहार के एक मज़दूर की हत्या कर दी थी। 4 अगस्त को कश्मीर के पुलवामा ज़िले के गदूरा गाँव में चरमपंथियों ने एक शिविर में रह रहे बिहारी मज़दूरों पर ग्रेनेड हमला किया था जिससे एक मज़दूर की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे। उस हमले में बिहार के सकवा परसा के निवासी मोहम्मद मुमताज़ की मौत हो गई थी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष बाहर से आए लोगों पर चरमपंथी हमलों की घटनाओं में तेज़ी आई है। दो महीने पहले ये हमले रुक गए थे। मगर इस महीने एक बार फिर ऐसे हमले होने लगे हैं। वैसे जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से ऐसी हत्याओं में इज़ाफ़ा देखा गया है। 

इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने इस घटना की निंदा की है। मुख्यमंत्री ने मृतक के परिवार को 2 लाख की मदद देने का भी ऐलान किया है। इसके साथ श्रम संसाधन विभाग एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से नियमानुसार अन्य लाभ दिलाने के निर्देश भी दिए हैं। दिल्ली में बिहार के स्थानिक आयुक्त को मृतक के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव पहुंचाने हेतु समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।
अमरेज के भाई ने बताया कि लगभग 12.20 बजे मेरे भाई (मोहम्मद अमरेज) ने मुझे उठाकर बोला कि फायरिंग हो रही है लेकिन मैंने बोला कि ये होता रहता है, सो जा। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि भाई वहां सोया नहीं था। मैं उसे ढूंढने गया तो देखा कि वो खून से लथपथ था। मैंने सेना को फोन किया और हम उसे हजिन ले गए। जहां से उसे श्रीनगर ले जाने के लिए बोला लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
हत्या के बाद उसके गांव कुमारखंड थाना क्षेत्र के बेसाढ़ पंचायत के वार्ड 5 में मातम पसरा हुआ है। अमरेज के पिता एक मामले में फिलहाल जेल में हैं। वह 6 भाई है जिसमें तीन तमजिद, अमरेज, तमरेज कश्मीर में एक साथ रहता हैं। तीनों भाई वहां रजाई बनाने का काम करता था। जिससे 10-15 हजार रुपए महीना घर भेजता था। अमरेज दसवीं पास करने के बाद वह काम करने के लिए तीन माह पहले गया था।

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उसके भाई मो.आलमगीर ने बताया कि उसके भाइयों ने आज सुबह उसकी मौत की सूचना दी थी। भाइयों ने बताया कि आतंकियों ने उसे 3 गोली मारी है। उसका शव दरवाजे के सीढ़ी पर पड़ा था। घटना मध्यरात्रि के बाद का है। सभी भाई सोया हुआ था। जब गोली की आवाज हुई तो नींद खुली तो एक भाई को पास नहीं देख दोनों भाई बेचैन हो गया। बाहर निकला तो उसके भाई अमरेज का शव पड़ा था। मां जहीना खातून बताती है कि सब दिन तीनों भाई वीडियो कॉल कर बात करता था रात में सिर्फ कॉलिंग पर बात हुई।
आपको बाता दें कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सदन में बताया था कि आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में 2017 से 5 जुलाई 2022 तक 28 प्रवासी मजदूरों की हत्या की। इनमें सबसे ज्यादा बिहार के 7 मजदूर मारे गए हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के 2 और झारखंड के 1 मजदूर की हत्या हुई। दैनिक भास्कर ने खुफिया एजेंसियों के हवाले से बताया कि, टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खासतौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इन टारगेटेड किलिंग्स के जरिए आतंकियों का एक मकसद घाटी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद आतंकियों के खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई ने कश्मीर में उन्हें कमजोर बना दिया है। इसी साल मई-जून में टारगेट किलिंग के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। 7 मई से 3 जून के बीच 9 लोगों की हत्या कर दी गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में टारगेट किलिंग के 16 मामले सामने आए। पुलिस का मानना है कि हताश आंतकियों ने अपनी रणनीति बदल दी है और अब वे अल्पसंख्यकों, निहत्थे पुलिसकर्मियों, मासूम नागरिकों, राजनेताओं और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं।
 
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