उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई , शिंदे गुट को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में माँगा जवाब

एकनाथ शिंदे को शिवसेना का चुनाव चिह्न दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इसके बाद शीर्ष अदालत ने शिंदे गुट को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा।

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22 फरवरी 2023 @ 17:08
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शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान सौंपे जाने के खिलाफ उद्धव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, उद्धव गुट और शिंदे के खेमे को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी इस स्थित में हम ऑर्डर पर रोक नहीं लगा सकते हैं। शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को साबित किया है। उद्धव गुट की ओर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने अदालत से यथास्थिति बनाए रखने की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने ऐसा कोई ऑर्डर पास नहीं किया।

शिंदे गुट ने भी उद्धव की याचिका से पहले सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। जिसमें मांग की गई थी कि कोर्ट कोई भी फैसला देने से पहले उनका पक्ष जरूर सुने।

चुनाव आयोग से शिवसेना का नाम और निशान छीने जाने के फैसले पर उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि इस देश में सभी संस्थाएं खत्म हो गई हैं। लोकतंत्र की हत्या हो गई है, तो अब एक ही आशा बची है- सर्वोच्च न्यायालय। हम वहां जाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।

उद्धव गुट की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव निशान के विवाद के निपटारे का आधार पार्टी के 1999 के संविधान को बनाया, जबकि इसे 2018 में बदला जा चुका था। संशोधन में कहा गया था कि शिवसेना में अध्यक्ष ही सबसे ऊपर होगा। किसी को पार्टी में शामिल करने, निकालने या बैठक करने पर आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष का ही होगा।

उद्धव गुट ने कहा था कि 1999 के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के पास इस तरह का कोई पावर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय ही नहीं दिया। फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया गया है। इसी दलील के आधार पर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।

निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे की अगुवाई वाले गुट को शुक्रवार 17 फरवरी को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की स्थापित अविभाजित शिवसेना का 'धनुष-बाण' चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था. इसी फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.

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