सुप्रीम कोर्ट ने प्राचीन स्थलों के नाम फिर से बदलने की मांग करने वाली याचिका को किया ख़ारिज
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की इस याचिका में कहा गया कि विदेशों से आने वाले आक्रमणकारियों ने कई जगहों के नाम बदल डाले.

सुप्रीम कोर्ट ने आक्रांताओं के नाम पर सड़क, शहर, स्थानों के नाम बदलने के लिए आयोग बनाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह उन मुद्दों को जीवंत करेगा, जो देश में उबाल ला देंगे।
एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया था कि क्रूर विदेशी आक्रांताओं ने कई जगहों के नाम बदल दिए. उन्हें अपना नाम दे दिया. आज़ादी के इतने साल बाद भी सरकार उन जगहों के प्राचीन नाम फिर से रखने को लेकर गंभीर नहीं है. उपाध्याय ने यह भी कहा था कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की हज़ारों जगहों के नाम मिटा दिए गए. याचिकाकर्ता ने शक्ति पीठ के लिए प्रसिद्ध किरिटेश्वरी का नाम बदल कर हमलावर मुर्शिद खान के नाम पर मुर्शिदाबाद रखने, प्राचीन कर्णावती का नाम अहमदाबाद करने, हरिपुर को हाजीपुर, रामगढ़ को अलीगढ़ किए जाने जैसे कई उदाहरण याचिका में दिए थे.
याचिकाकर्ता ने शहरों के अलावा कस्बों के नामों को बदले जाने के भी कई उदाहरण दिए थे. उन्होंने इन सभी जगहों के प्राचीन नाम की बहाली को हिंदुओं के धार्मिक, सांस्कृतिक अधिकारों के अलावा सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार के तहत भी ज़रूरी बताया था. याचिका में अकबर रोड, लोदी रोड, हुमायूं रोड, चेम्सफोर्ड रोड, हेली रोड जैसे नामों को भी बदलने की ज़रूरत बताई गई थी.
जस्टिस केएम जोसेफ़ के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ''हिंदू कोई धर्म नहीं बल्कि ज़िंदगी जीने का तरीक़ा है. इस धर्म में कोई कट्टरता नहीं है. इतिहास को मत कुरेदिए जिससे केवल वैमनस्य पैदा होगा.''
इस खंडपीठ की एक अन्य सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्न ने कहा कि अंग्रेज़ों की 'बांटो और राज करो' की नीति से हमारे समाज में फूट पड़ी. अब फिर से उस दौर में नहीं जाया जा सकता.
जजों के रुख को भांपते हुए याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने प्रयास किया कि याचिका खारिज न हो, बल्कि कोर्ट से वापस लेकर सरकार को विचार के लिए सौंपने की अनुमति मिल जाए लेकिन जजों ने इससे भी मना कर दिया. उन्होंने याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस जोसेफ ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा, "आप सिर्फ मुद्दा गर्म रखना चाहते हैं. धर्मनिरपेक्ष संस्थाओं से ऐसा कुछ करवाना चाहते हैं जो धर्मनिरपेक्ष नहीं है. हमारा स्पष्ट मानना है कि हम अतीत के कैदी बन कर नहीं रह सकते. इस बात की अनुमति नहीं दी जा सकती कि दुखद अतीत आज के भाईचारे को खत्म करे."
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