JNU में अब नया नियम: धरना देने पर 20 हज़ार रुपये का जुर्माना, हिंसा करने पर एडमिशन रद्द
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जेएनयू सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को तुगलकी फरमान करार दिया।

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अब विरोध प्रदर्शन, धरना करने वाले स्टूडेंट को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा। किसी भी तरह की हिंसा करने पर 30 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है या एडमिशन रद्द किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ने विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए नई गाइडलाइन बनाई है।
धरना देने या भूख हड़ताल करने पर 20,000 रुपये का जुर्मान। हिंसा करने पर दाखिला रद्द या फिर 30,000 रुपये का जुर्माना। रास्ता रोकने, जुआ खेलने, अवैध रूप से होस्टल में रहना, गाली देना या आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। किसी भी शिकायत की एक कॉपी मां-बाप को भी भेजी जाएगी। जिन केस में प्रोफ़ेसर और स्टूडेंट्स दोनों पक्ष होंगे, उनका निपटारा यूनिवर्सिटी की शिकायत निवारण समिति से होगा। यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़, रैगिंग के मामलों का निपटारा चीफ़ प्रॉक्टर ऑफिस से होगा
दस्तावेज के अनुसार, ये नियम तीन फरवरी से लागु किये गए है। ये विश्वविद्यालय में बीबीसी का विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बाद लागू किए गए। नियम संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि इसे कार्यकारी परिषद ने मंजूरी दी है। यह परिषद विश्वविद्यालय का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जेएनयू सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को तुगलकी फरमान करार दिया। उन्होंने दावा किया कि पुरानी आचार संहिता काफी प्रभावी थी। उन्होंने इस आचार संहिता को वापस लेने की मांग की। जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने मीडिया की ओर से भेजे गए संदेशों और फोन कॉल का जवाब नहीं दिया। दस्तावेज में कहा गया है कि नियम विश्वविद्यालय के सभी छात्रों पर लागू होंगे, जिनमें अंशकालिक छात्र भी शामिल हैं। नियम लागू होने से पहले या बाद में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों पर ये नियम लागू होंगे
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