प्यार करने वाले लड़का-लड़की का धर्म अलग-अलग हो तो यह लव जिहाद नहीं- बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि "एक रिश्ते को सिर्फ इसलिए 'लव जिहाद' का रूप नहीं दे सकते क्योंकि लड़का और लड़की अलग-अलग धर्मों के हैं"।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने लव जिहाद के एक मामले में मुस्लिम महिला और उसके परिवार को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी। हाई कोर्ट ने कहा कि "एक रिश्ते को सिर्फ इसलिए 'लव जिहाद' का रूप नहीं दे सकते क्योंकि लड़का और लड़की अलग-अलग धर्मों के हैं"।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में लव-जिहाद का एंगल देने की कोशिश की गई है। जब दो लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो लव जिहाद की आशंका कम होती है। कोर्ट ने कहा कि केस 2022 में दर्ज हुआ था और एफआईआर में शख्स ने कबूल किया है कि वह महिला से प्यार करता था। विभा कंकनवाडी और अभय वागवाशे की बेंच ने मुस्लिम महिला को अग्रिम जमानत देते हुए यह बात कही। दरअसल मुस्लिम महिला पर उसके हिंदू प्रेमी ने आरोप लगाया था कि उसकी मुस्लिम प्रेमिका और उसके परिजनों ने धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में पहले औरंगाबाद की स्पेशल कोर्ट ने महिला और उसके परिजनों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस फैसले को पलटने का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, ऐसा लगता है कि मामले को अब लव जिहाद का रंग दिया जा रहा है। लेकिन जब दोनों के बीच प्यार हुआ और वे रिश्ते में आए तो ऐसा नहीं था। तब दोनों के बीच सहज रूप से प्यार आगे बढ़ा था। लड़का और लड़की का धर्म यदि अलग-अलग हो तो उसे सांप्रदायिक नजरिए से देखना ठीक नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह दोनों का एक दूसरे के बीच शुद्ध प्यार का मामला भी तो हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम लड़की के हिंदू प्रेमी ने आरोप लगाया था कि लड़की का परिवार उस पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डाल रहा है। उसने कहा था कि उसका जबरदस्ती खतना भी किया गया था। उसने इस मामले को लव जिहाद बताते हुए कहा था कि मेरे ऊपर यह दबाव भी डाला गया कि मैं प्रेमिका के परिवार के लिए कुछ पैसों की व्यवस्था करूं। शख्स ने यह आरोप भी लगाया कि अकसर मेरी जाति का नाम लेकर गालियां दी जाती थीं।
महिला के पूर्व प्रेमी ने आरोप लगाया था कि उसने और उसके परिवार ने उसे इस्लाम कबूल करने और खतना कराने के लिए मजबूर किया। वकील ने महिला और उसके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह भी दलील दी कि यह ‘लव जिहाद’ का मामला है। हाई कोर्ट ने लव जिहाद के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि उस व्यक्ति ने एफआईआर में स्वीकार किया था कि वह महिला के साथ संबंध में था और कई अवसरों के बावजूद संबंध खत्म नहीं किए।
वेबसाइट पर advertisement के लिए काॅन्टेक्ट फाॅर्म भरें
अन्य वीडियो