मेरे खुद के फोन में पेगासस से जासूसी हुई , कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में बोले राहुल गांधी
मुझे खुफिया अधिकारियों ने फोन किया था, जिन्होंने मुझसे कहा, 'कृपया इस बात से सावधान रहें कि आप फोन पर क्या कह रहे हैं, क्योंकि आपका फोन रिकॉर्ड किया जा रहा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भाषण दी। राहुल ने मंगलवार को भारत में विपक्षी पार्टियों, नेताओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं की परेशानियों के बारे में जिक्र किया था। राहुल ने कहा, "मेरे फोन की जासूसी होती है। विपक्ष के खिलाफ केस दर्ज किए जाते हैं। भारत में विपक्षी नेता के तौर पर यह एक ऐसा दबाव है, जो लगातार झेलना पड़ता है।" राहुल की स्पीच का VIDEO सैम पित्रोदा ने शेयर किया है।
NDTV के मुताबिक,कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व सलाहकार सैम पित्रोदा ने कैंब्रिज बिजनेस स्कूल में एमबीए छात्रों को राहुल गांधी के 'लर्निंग टू लिसन इन द 21 सेंचुरी' विषय पर संबोधन का यूट्यूब लिंक ट्विटर पर साझा किया। इसमें राहुल गांधी कह रहे हैं, "मेरे खुद के फोन में पेगासस था। बड़ी संख्या में राजनेताओं के फोन में पेगासस था। मुझे खुफिया अधिकारियों ने फोन किया था, जिन्होंने मुझसे कहा, 'कृपया इस बात से सावधान रहें कि आप फोन पर क्या कह रहे हैं, क्योंकि आपका फोन रिकॉर्ड किया जा रहा है। विपक्ष में रहने पर ये वो निरंतर दबाव है जो हम महसूस करते हैं। मेरे ऊपर कई आपराधिक मामले हैं, जो किसी भी परिस्थिति में आपराधिक दायित्व वाले मामले नहीं होने चाहिए। इसी का हम बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल के इस बयान पर भाजपा ने बिरोध किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा- 'राहुल विदेशी धरती पर भारत को बदनाम कर रहे हैं। अनुराग ठाकुर ने पेगासस मुद्दे पर कहा- 'यह कहीं और नहीं बल्कि राहुल के दिल-दिमाग में हुआ है। उनकी क्या मजबूरी थी जो अपना फोन जमा नहीं करवाया। ऐसा क्या था उनके फोन में। एक के बाद एक हार को वे पचा नहीं पा रहे हैं, जिस तरह से वे विदेश धरती पर, कभी विदेशी दोस्तों के जरिए भारत को बदनाम करते हैं, इससे ये सवाल सामने आता है कि कांग्रेस का एजेंडा क्या है?'
बता दें कि पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है। इसे इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है। इस स्पाईवेयर को किसी के भी फोन में डालकर उसकी जासूसी की जा सकती है। बीते दिनों एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में भी 2019 में इसके जरिए 1400 लोगों के फोन की जासूसी की गई थी, जिसमें कई बड़े नेता, सुरक्ष अधिकारी, उद्योगपति और पत्रकार जैसे लोग शामिल थे।
हालांकि, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और कोर्ट ने टेक्निकल टीम के तहत मामले की जांच करवाई थी, जिसमें जासूसी की बात सामने नहीं आई थी।
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