भारत मामले में अब कूदे कुवैत के वकील, इस्लामी सहयोगी संगठन से कहा 'हमारे मुस्लिम भाइयों के खिलाफ जो हुआ उसमें तुरंत हस्तक्षेप करें'
अब मध्य पूर्व में शाही परिवार के सदस्यों के साथ-साथ वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता और भारतीय प्रवासी वर्गों ने मुसलमानों पर अत्याचार की निंदा शुरू कर दी।

निज़ामुद्दीन मरकज मामले के सामने आने के बाद जिस तरह से देश भर में कोरोना के प्रसार के लिए जमात और मुस्लिम लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके साथ ही देश भर में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के मामलों भी सामने आए। ऐसे में अब मध्य पूर्व में शाही परिवार के सदस्यों के साथ-साथ वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता और भारतीय प्रवासी वर्गों ने मुसलमानों पर अत्याचार की निंदा शुरू कर दी।
इसी बीच अब कुवैती के वकील ने संयुक्त राष्ट्र को हस्तक्षेप करने और बढ़ते उत्पीड़न को रोकने का आह्वान किया है। खालिद अल जवाफ़ान ने ट्वीट किया, “हम अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद, इस्लामी सहयोग के संगठन और सभी मानवाधिकार संगठनों को बुलाते हैं, भारत में हमारे मुस्लिम भाइयों के खिलाफ किए गए उल्लंघन को रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करें #भारत।”
खालिद अल सुवैफ़न एक वकील और कुवैत बार एसोसिएशन के निदेशक मंडल के सदस्य और वकीलों की प्रवेश समिति के सदस्य हैं। इससे पहले उन्होने ट्वीट किया था: # भारत में हिंसा कुछ दावे के रूप में एक आंतरिक मामला नहीं है, लेकिन यह मानवता के खिलाफ अपराध है और अंतरराष्ट्रीय मौन के साथ जातिवाद का जघन्य अभ्यास और जो भी हो रहा है, उसके लिए मानव अधिकार संगठनों की अनुपस्थिति है। #Islamophobia_In_India
तो वहीं उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा कोरोनोवायरस का मुकाबला करने के लिए भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की विफलता को मुसलमानों के प्रति नस्लवादी बयानबाजी की ओर मोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि महामारी धर्मों के बीच अंतर नहीं करती है
उन्होंने ने आगे कहा भारत एक प्राचीन विशाल देश है, और लोगों ने सदियों से विभिन्न धर्मों और जातियों के साथ शांति से सहवास किया है, और # भारत के मुसलमानों के खिलाफ ये जातिवादी अपराध भारत की छवि को धूमिल करेंगे मानव अधिकारों की वाचाओं की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना आवश्यक है
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