सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में चाकू से हमला, हालत नाज़ुक
फ़िलहाल वह वेंटिलेटर पर हैं और बोल नहीं पा रहे हैं,पुलिस के मुताबिक हमलावर का नाम हादी मतर है और वो 24 साल का है, हमलावर की मंशा का पता नहीं चला है और हमले का कारण जानने के लिए एफ़बीआई की मदद भी ली जा रही है

न्यूयॉर्क: बुकर पुरस्कार विजेता और 'द सैटेनिक वर्सेज़' के लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में शुक्रवार को चाकू से हमला हुआ है। ये हमला उस समय हुआ जब वह न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान के एक कार्यक्रम में बोलने जा रहे थे। इस हमले में रुश्दी का साक्षात्कार ले रहे व्यक्ति भी घायल हुए हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सलमान रुश्दी के एजेंट ने बताया कि सलमान रुश्दी के स्वास्थ्य को लेकर जो जानकारी फिलहाल आ रही है, वो बहुत अच्छी नहीं है। न्यूयॉर्क स्टेट में चाकू से हमला होने के बाद से सलमान रुश्दी की हालत नाज़ुक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल वह वेंटिलेटर पर हैं और बोल नहीं पा रहे हैं। एंड्रयू वाइली ने बताया कि हमले के कारण लेखक अपनी आंख भी खो सकते हैं। एंड्रयू वायली ने बताया, "सलमान की एक आंख खोने की भी आशंका है, उनकी बांह में भी काफी चोट आई है और उनके लीवर में भी चाकू के वार किए गए हैं।"
ऑनलाइन पोस्ट किए गए एक वीडियो में घटना के तुरंत बाद वहां मौजूद लोग मंच पर भागते हुए नज़र आ रहे हैं। इसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने हमलावर को मौके पर ही पकड़ लिया।
न्यूयॉर्क की गवर्नर केथी होचुल के मुताबिक सलमान रश्दी अभी ज़िंदा हैं। एक प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि रुश्दी के अस्पताल ले जाया गया है और उनकी देखभाल की जा रही है।
वहीं न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस ने बताया है कि हमले के बाद रुश्दी को हेलीकॉप्टर से स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है। सलमान रुश्दी के एजेंट एंड्र्यू वाइली ने बीबीसी के सहयोगी चैनल सीबीएस न्यूज़ को बताया है कि अभी उन्हें सलमान रुश्दी की सेहत के बारे में कोई ताज़ा जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने बताया है कि सलमान रुश्दी की सर्जरी हुई है।
पुलिस ने बताया है कि सलमान रुश्दी की गर्दन पर चाकू से वार किया गया है। और हमलावर अब पुलिस हिरासत में है। पुलिस के मुताबिक हमलावर का नाम हादी मतर है और वो 24 साल का है। हमलावर न्यू जर्सी के फ़ेयरव्यू का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि अभी हमलावर की मंशा का पता नहीं चला है और हमले का कारण जानने के लिए एफ़बीआई की मदद भी ली जा रही है। संदिग्ध हादी मतार के पास कार्यक्रम का पास था और वो अकेले ही आया था।
अभी पुलिस ने मतार के ख़िलाफ़ आरोप तय नहीं किए हैं। संदिग्ध हादी मतार कूदकर मंचर पर गया था और उसने सलमान रुश्दी के गले पर कम से कम एक वार किया और पेट पर भी कम से कम एक वार किया।
एक स्थानीय पत्रकार मार्क सोमर ने कई चश्मदीदों से बातचीत की है। उन्होंने बीबीसी को बताया कि हमलावर दर्शकों के बीच काला मास्क पहने हुए बैठा था।
काला मास्क पहना व्यक्ति छलांग लगाकर स्टेज पर चढ़ा और रुश्दी पर हमला कर दिया। इसके बाद सलमान रुश्दी को सुनने आए 10-15 लोग स्टेज पर पहुँच गये और उन्होंने हमलावर को क़ाबू में कर लिया। रुश्दी कोई पाँच मिनट तक ज़मीन पर पड़े रहे। उसके बाद उन्हें उठाया गया और स्टेज से बाहर ले जाया गया। बाद में उन्हें हेलीकॉप्टर के ज़रिए अस्पताल पहुंचाया गया। सोमर ने बताया कि रुश्दी आम तौर पर बहुत सारी सिक्योरिटी के साथ चलते थे। सोमर ने बीबीसी को बताया, 'ये यक़ीन करना मुश्किल है कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा नहीं थी। शायद हमला कार्यक्रम शुरू होने के कुछ सेकंड के भीतर ही हो गया था। '
हमले के एक चश्मदीद ने बीबीसी न्यूज़ चैनल को बताता है कि जो लोग वहां मौजूद थे वो अभी सकते में हैं।
कार्ल लेवन ने बीबीसी से कहा, "देखने वालों के लिए ये घटना बेहद भयानक थी। जब हमला हुआ तब वह एम्फीथिएटर में 14 या 15 वीं कतार में पीछे बैठे थे। "
लेवन का कहना है कि हमलावर ने रुश्दी को बार-बार छुरा घोंपा। न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस के कमांडर मेजर यूजीन जे स्टेनिस्ज़ेवस्की ने इस घटना पर पुलिस का विस्तृत बयान जारी किया है।
आपको बाता दें कि भारतीय मूल के उपन्यासकार ने 1981 में 'मिडनाइट चिल्ड्रन' के साथ प्रसिद्धि मिली। अकेले ब्रिटेन में इसकी दस लाख से अधिक प्रतियां बिकीं। 1988 में रुश्दी की चौथी किताब द सैटेनिक वर्सेज़ प्रकाशित हुई। इस उपन्यास से मुसलमानों में आक्रोश फैल गया, उन्होंने इसकी सामग्री को ईशनिंदा करार दिया। पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन होने लगे और इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग होने लगी। वहीं सेंसरशिप और किताब जलाने के विरोध में भी कई विरोध प्रदर्शन हुए। पुस्तक के प्रकाशन के एक साल बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के ख़िलाफ़ मौत का फ़तवा जारी किया। फ़तवा जारी होने के बाद सारी चीज़ें एक अलग ही स्तर पर चली गई। खुमैनी के बयान के बाद दुनिया में कूटनीतिक संकट पैदा हो गया। इस किताब के प्रकाशन के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में पूरी दुनिया में 59 लोग मारे गए। मृतकों की इस संख्या में उपन्यास के अनुवादकों की संख्या भी शामिल हैं। जान से मारे जाने की धमकियों की वजह से ख़ुद सलमान रुश्दी 9 साल तक छिपे रहे।
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