आईपीएल में कथित सट्टेबाज़ी: 7 संदिग्धों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर

सीबीआई ने दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर और जोधपुर में सात ठिकानों पर तलाशी ली

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नई दिल्ली: सीबीआई ने दो अलग-अलग मामलों में 7 संदिग्ध सट्टेबाज़ों को ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया है।  न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अधिकारियों ने बताया है कि साल 2019 में इंडियन प्रीमियर लीग के मैच में पाकिस्तान से मिले इनपुट के आधार पर हुई कथित फिक्सिंग को लेकर ये मामला दर्ज़ किया गया है। इस मामले में अब देशव्यापी जांच शुरू हो गई है और दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर और जोधपुर में सात ठिकानों पर तलाशी ली गई है। एफ़आईआर में आरोप है, ''एजेंसी को जानकारी मिली है कि कुछ लोगों का एक नेटवर्क पाकिस्तान से मिली सूचना के आधार पर आईपीएल के मैचों के नतीज़े प्रभावित कर रहा है।''
सीबीआई ने अपनी पहली एफ़आईआर में दिल्ली के रहने वाले दिलीप कुमार, हैदराबदा के गुरुम वासु और गुरुम सतीश को नामजद किया है। दूसरी एफआईआर में सज्जन सिंह, प्रभु लाल मीणा, राम अवतार और अमित कुमार शर्मा का नाम है, ये सभी राजस्थान के रहने वाले हैं। 
अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने मामले में राष्ट्रव्यापी जांच शुरू की है और दिल्ली, हैदराबाद, जयुपर और जोधपुर में सात ठिकानों की तलाशी ली है। इस संबंध में दैनिक हिंदुस्तान ने खबर देते हुए बताया है कि प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि एजेंसी को जानकारी मिली कि 'क्रिकेट सट्टेबाजी में संलिप्त व्यक्तियों का नेटवर्क पाकिस्तान से मिली सूचना के आधार पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के तहत होने वाले मैचों के नतीजों को प्रभावित कर रहा है। इससे पहले, ऐसी खबरें आई थी कि सीबीआई ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है। एक समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सीबीआई ने पहली प्राथमिकी में दिल्ली के रोहिणी निवासी दिलीप कुमार और हैदराबाद के गुरुम वासु और गुरुम सतीश को आरोपी के तौर पर नामजद किया है। वहीं दूसरी प्राथमिकी में सज्जन सिंह, प्रभुलाल मीणा, राम अवतार और अमित कुमार शर्मा को नामजद किया है। चारों राजस्थान के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि यह गिरोह कथित तौर पर राजस्थान से काम कर रहा था और 2010 से सक्रिय था जबकि दूसरा गिरोह वर्ष 2013 से सक्रिय था। अधिकारियों ने बताया कि नेटवर्क पाकिस्तान से आने वाली जानकारी के आधार पर कार्य कर रहा था। साथ ही ''सट्टे के लिए प्रेरित कर'' जनता के साथ भी धोखा कर रहा था। उन्होंने बताया कि गिरोह में शामिल लोगों ने अज्ञात बैंक अधिकारियों के साथ साठगांठ कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खोले थे। अधिकारियों ने बताया, 'ये बैंक खाते फर्जी जानकारी के आधार पर खोले गए थे जैसे कई जन्मतिथि आदि दी गई थी। ये खाते बैंक कर्मियों की उचित जांच के बिना खोले गए। भारत में आम लोगों से सट्टे की गतिविधि से मिली राशि विदेश में रह रहे साथियों को भी हवाला के जरिये भेजी जाती थी।'
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पाया कि दिलीप कई खातों का संचालन कर रहा था और वर्ष 2013 से अबतक कुल 43 लाख रुपये 'आर्थिक नियमों' का उल्लंघन कर घरेलू स्तर पर उसके खातों में जमा कराए गए। उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने पता लगाया कि गुरुम सतीश के छह बैंक खातों में घरेलू स्तर पर 4.55 करोड़ रुपये और विदेश से 3.05 लाख रुपये वर्ष 2012-20 के बीच जमा कराए गए। इसी अवधि में गुरुम वासु के खाते में 5.37 करोड़ रुपये जमा कराए गए। 
सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपियों का कोई कारोबार नहीं है जो इस लेनदेन को न्यायोचित ठहरा सके। अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान के गिरोह के बारे में सीबीआई ने पता लगाया कि वे आम लोगों से सट्टेबाजी के जरिये मिली राशि को विदेश में मौजूद अपने सहयोगियों से हवाला के जरिये साझा करते थे। उन्होंने बताया कि इनका भी काम करने का तरीका दिल्ली-हैदराबाद समूह की तरह ही था।


 

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