फ्रांस की घटनाएं: पर्दे के पीछे का सच
योरोप मे सबसे बेहतर कल्याणकारी राज्य कौन सा है?

जहां सबसे ज़्यादा राष्ट्रीयकरण है, बेरोज़गारी भत्ता है, स्वास्थय और अच्छी शिक्षा बहुत सस्ती है?
अमीरों पर सबसे अधिक टैक्स है?
गरीबों को राहत है?
वह देश फ्रांस है
कई वर्षों से IMF-World Bank-अमेरिकी-ब्रिटिश लाबी कोशिश कर रही है की फ्रांस मे निजीकरण किया जाये।
स्वास्थय-शिक्षा को मंहगा बनाया जाये।
इसीलिये इस लाबी ने चरम-दक्षिणपंथी ली पेन को खड़ा किया।
फ्रांस के नागरिकों के भीतर इस्लामोफोबीया पैदा किया गया।
बिलकुल भारत की तरह
जैसे भारत में लोगों के अंदर मुसलमानो के प्रति नफरत बढ़ाई गई फिर मोदी को चढ़ाया गया।
मोदी ने छह सालों मे भयंकर निजीकरण किया।
कितनी कल्याणकारी नीतियों को अंदर से खोखला किया।
अंबानी-अडानी के मुनाफे मे कई गुना बढ़ोतरी हुई!
गरीब और गरीब हुआ।
भारत की ग्रोथ माईनस मे चली गई।
कोविड के दौरान लोग पाई-पाई के मोहताज हो गये।
फ्रांस का भी यही हाल करना है।
लेकिन फ्रांस और भारत मे बहुत फर्क है।
आधुनिक फ्रांस सामंतवाद विरोधी हिंसक क्रांती के बल पर आधुनिक हुआ।
उसके यहां उस समय औद्योगिक क्रांती हुई जब भारत एक गुलाम देश था।
इसलिये फ्रांस मे वामपंथी प्रगतिशील सोच का बहुत प्रभाव है।
अब IMF-World बैंक को एक ऐसी diversion की राजनीती चाहिये थी जिससे फ्रांस की प्रगतिशील-वामपंथी परंपरा का दक्षिणपंथी हित मे इस्तेमाल हो!
ये तभी संभव था, जब फ्रांस मे प्रगतिवाद का नया, फर्जी 'दुश्मन' पैदा किया जाये!
वो कैसे होगा?
आतंकवाद को बढ़ाओ!
खासतौर पर इस्लामी आतंकवाद को!
ऐसी घटनाएं मुसलमानो के हाथों कराओ जो फ्रांस के प्रगतिशील मूल्यों पर हमला लगे।
चार्ली हेबडो कांड उस समय हुआ जब फ्रांस इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद मे फिलिस्तीन का पक्ष ले रहा था!
दक्षिणपंथी ली पेन की लोकप्रियता उस हमले के बाद बढ़ना शुरू हुई।
अब जो घटनायें हो रही हैं, वो बिलकुल ली पेन को शिखर पर पहुँचा रही हैं।
ली पेन के माध्यम से, IMF-World Bank-अमरीकी-ब्रिटिश लाबी, फ्रांस के कल्याणकारी राज्य को खत्म करेंगीं!
फ्रांस का निजीकरण होगा और उक्त लाबी अरबों-खरबों कमायेगीं!
मज़ेदार बात यह है की जो लोग जानते हैं कि मोदी के सत्ता मे आने के पहले मुसलमानो को हिंदुओं का दुश्मन बनाने का लंबा खेल चला,
वो फ्रांस के खेल को धार्मिक लड़ाई या प्रगति बनाम कट्टरपंथ के झगड़े के रूप मे देख रहे हैं!
कई मुस्लिम नेता भी चाहते हैं की झूठे ध्रुवीकरण की राजनीती चले।
इसीलिये वो पढ़े-लिखे मुसलमानो को असली खेल नही बता रहे!
पर जनता का अपना अनुभव होता है।
जनता समझ रही है की मोदी कोई हिंदू राष्ट्र का पैरोकार नही,
पूंजीपतियों का दोस्त है।
उसी तरह फ्रांस मे भी आम जनता इस खेल को समझ रही है।
बस उसकी 'मन की बात' मीडीया आप तक पहुंचने नहीं दे रहा!
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