पीएसी तैनात होने के बावजूद 22-23 दिसंबर 1949 की रात अभय रामदास और उनके साथियों ने दीवार फाँदकर राम-जानकी और लक्ष्मण की मूर्तियाँ मस्जिद के अंदर रख दीं और यह प्रचार किया कि भगवान राम ने वहाँ प्रकट होकर अपने जन्मस्थान पर वापस क़ब्ज़ा प्राप्त कर लिया है.